सेहत के मूलमंत्र, खानपान, व्यायाम और विश्राम पर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी

स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र है नियमित योग प्रणायाम।  गंभीर एवं सामान्य बीमारियों से बचने का सही एवं कारगर उपाय है पोषक एवं संतुलित खान-पान, सही जीवनचर्या और नियमित योग-प्रणायाम। व्यायाम योग का असर केवल शरीर पर ही नहीं पड़ता, यह दिमागी, मानसिक और भावनात्मक रुप से भी असर दायक है।स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं। चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ संकल्प लेकर उन पर अमल जरूर करना चाहिए ।

सेहत 

एक स्वस्थ जीवन का अर्थ सिर्फ बीमारी रहित होना नहीं है। स्वस्थ जीवन के संदर्भ में शारीरिक,  सामाजिक और मानसिक रूप से सुखी व स्वस्थ होना भी शामिल है। स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं। सच तो यह है कि अच्छे स्वास्थ्य से जहां व्यक्ति बीमारियों से मुक्त रहता है, वहीं उसकी कार्यक्षमता भी बढ़ती है। परिवार के सभी सदस्यों को अपनी सेहत सही रखने के लिए अपने खानपान, व्यायाम और विश्राम पर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है। चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ संकल्प लेकर उन पर अमल जरूर करना चाहिए…

 खानपान

जरूरत से कम पोषक तत्वों को ग्रहण करना कुपोषण कहलाता है। कुपोषण कई बीमारियों को बुलावा देता है, जैसे कमजोरी महसूस होना, शरीर में खून की कमी होना और विटामिंस व मिनरल्स की कमी होना आदि। कुछ छोटी- छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप समुचित आहार ग्रहण कर सकते हैं।

  • कभीभी सुबह नाश्ता किए बगैर घर से बाहर न जाएं।
  • रातभर की नींद के बाद दिमाग और शरीर की ऊर्जा के लिए नाश्ता बहुत जरूरी है। सुबह के समय नाश्ता न करने से न केवल शरीर, बल्कि मस्तिष्क भी सुस्त
  • होजाता है साथ ही एसीडिटी की समस्या भी हो सकती है।
  • रिफाइंडयुक्त खानपान का प्रयोग कम से कम करें।
  • स्वस्थरहने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप महंगे और विदेशी खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करें।  अपने परिवेश में पाए जाने वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा लाभकारी होते हैं।
  • भोजनकी थाली में अलग-अलग रंगों के खाद्य पदार्थ जरूर होने चाहिए, जैसे पीली दाल, हरी सब्जी, सफेद दही और रंग-बिरंगी सलाद। इससे शरीर के लिए सारे जरूरी पोषक तत्व आसानी से मिल जाएंगे।
  • रातका भोजन आठ-नौ बजे तक हर हाल में कर लेना चाहिए।  बहुत देर से भोजन करने पर रात में एसिड या जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।
  • सेहतसही रखने के लिए प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी अवश्य पिएं।
  • प्रतिदिनअलग-अलग रंग की दो-तीन कटोरी सब्जी तथा एक से दो प्लेट सलाद व फलों का सेवन करें करें।

व्यायाम

प्रतिदिन लगभग एक घंटे का वक्त व्यायाम के लिए अवश्य निकालें। व्यायाम किसी आयु विशेष के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह 70  साल वाले बुजुर्ग के लिए भी उतना ही लाभकारी है, जितना कि पांच साल के बच्चे के लिए। व्यायाम महिलाओं व पुरुषों के लिए समान रूप से लाभदायक होता है। नियमित रूप से व्यायाम करने से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है साथ ही मोटापा भी नियंत्रित होता है। इसके अलावा डिप्रेशन व नींद की समस्या को दूर करने में भी व्यायाम से मदद मिलती है। याद रखें व्यायाम अपनी क्षमता व रुचि के अनुसार करें। व्यायाम में पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, योग, प्राणायाम और नृत्य आदि को शामिल कर सकते हैं।

डिजिटल का सीमित प्रयोग

आज के युग में कई नई समस्याएं धीरे-धीरे हमारे जीवन में पैर पसार रही हैं, जैसे इंटरनेट, सोशल मीडिया तथा स्क्रीन होम एडिक्शन आदि।  एक शोध के अनुसार हर तीसरा व्यक्ति बार-बार फोन चेक करने, सोशल प्लेटफार्म पर ज्यादा समय बिताने और ऑनलाइन शॉपिंग आदि में काफी वक्त बिताता है। अगर व्यक्ति सोशल मीडिया की गतिविधियों में संलग्न नहीं रहता है तो वह अपने मन में एक कमी या बेचैनी महसूस करता है। यही नहीं वह लगातार अपने सोशल मीडिया स्टेटस को लेकर भी एंग्जाइटी महसूस करता है। सोशल मीडिया भी एक तरह की नशे की लत जैसी ही मानसिक बीमारी होती जा रही है। इससे बचाव के लिए कुछ उपाय अपनाएं।

  • कभीभी खाना खाते समय टीवी, फोन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल न करें।  इस बारे में अपने परिवार से चर्चा करके आपसी सहमति बनाएं।
  • घरमें किसी भी बेडरूम में टीवी न हो साथ ही टीवी देखने का समय भी नियमित करें।
  • रातमें फोन, लैपटॉप, आईपैड आदि को चार्जिंग पर लगाकर न छोड़ें।
  • सोतेसमय मोबाइल फोन को अपने शरीर से कम से कम तीन-चार फुट की दूरी पर रखें।
  • समयनिकालकर छुट्टी के दिनों और अन्य अवसरों पर सपरिवार घर से बाहर घूमने जाएं,  साथ ही नई हॉबीज भी विकसित करें और इंडोर गेम्स खेलें।
  • केवलफोन पर चैट करते रहने की बजाय समय-समय पर दोस्तों से निजी स्तर पर मिलें।

दूर रहें नशे की लत से

धूमपान और अन्य किसी भी तरह के नशे की लत आपके शरीर को ही नहीं, परिवार और आर्थिक स्थिति को भी लगातार कमजोर करती है।  अगर आप प्रतिदिन नशा करेंगे तो आगे चलकर इन व्यसनों को छोड़ना मुश्किल हो जाएगा। देश में होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई मौतें धूमपान की लत से होने वाले रोगों के कारण ही होती हैं। अगर आप किसी तरह का नशा करते हैं तो आपको नए वर्ष में अपने आपको इस लत से मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए। नशा छोड़ने के संदर्भ में परामर्श के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। नशा छुड़ाने में व्यवहार चिकित्सा सहायक है।

नियमित जांच

जरूरी शारीरिक जांचें साल में कितनी बार हों, यह बात आयु, बीमारियों और परिवार की हेल्थ हिस्ट्री पर निर्भर करती है।  अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो भी चालीस-पैंतालिस की उम्र के बाद साल में एक बार डॉक्टर से मिलकर आवश्यक जांचें करवानी चाहिए। इससे समय रहते शारीरिक समस्याओं के बारे में पता चल जाता है। वैसे तो आजकल मार्केट में बहुत सारे हेल्थ पैकेज का प्रचलन है, पर आप अपने डॉक्टर की सलाह से ही जरूरी जांचें करवाएं। व्यर्थ में समय और धन की हानि न करें।

टीकाकरण

बच्चे और बड़ों दोनों को ही उनकी अवस्था के अनुसार टीकाकरण की जरूरत होती है।  टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है। टीकाकरण आयु तथा मेडिकल कंडीशन के आधार पर किया जाता है। समय पर टीका लगवाने से पीलिया (हेपेटाइटिस ए व बी), पोलियो, खसरा, मंप्स, फ्लू, न्यूमोनिया आदि लगभग पंद्रह बीमारियों से बचाव हो सकता है। आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें कि कौन-कौन सा टीका अपने और परिवार के अन्य सदस्यों को लगवा सकते हैं।

नींद

नींद के दौरान भी हमारे शरीर के कई अंग और हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है।  अनेक हार्मोंस नींद के दौरान ही सक्रिय होते हैं और वे हमें स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होते हैं। एक वयस्क को लगभग सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है। वहीं छोटे बच्चों के लिए दस से बारह घंटे की नींद उनके तन-मन के संपूर्ण विकास के लिए लाभकारी है। अनिद्रा से डिप्रेशन, माइग्रेन और हृदय रोगों से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं।

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